
कविता - 🌷 " कस्में-वादें "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
आज रह-रहकर उनकी याद आती रही है
जिन के बिना, ज़िंदगी ही अधूरीसी लगें है…
वो सुनहरे-पल यादगार-लम्हें, कैद-हैं-मनमें
आज तक जिन्दा हैं ज़हन में, नस-नस में…
वो कश्मीर की हसीं वादियां, शांतसा झील
चहू-ओर प्यारा नजारा, रात तारे झिलमिल…
एक साजन-एक सजनी, यूं खुशियां बिखेरे
साथ-ही-साथ जीवन बिताने के, कस्में-वादें…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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