कविता -🌷” पदचिन्ह “


कविता -🌷" पदचिन्ह "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले

जिस पल बच्चा मां की कोख में पलना शुरू करता है,
भगवान जुट जाते हैं उस लम्हेंसे,उसकी सुरक्षा करनेमें

समय कोई भी हो, या कितना भी कठीनाई से भरा हो,
उस अर्भकके जीवन-कालमें परमात्मा साथ निभाते हैं

ज़िंदगीमें हमारे कदम से कदम मिलाकर चलते रहते हैं
आपत्तिकालमें अंदरसे ही आगाज़ देकर, आदेश देते हैं

सच्ची और अच्छी राह पर चलने की प्रेरणा देते रहते हैं
फिर भी अगर ग़लतीसे भूल-चूक होवे तो संभल लेते हैं

परमात्मा एक साये जैसे पूरा समय साथ-साथ चलते हैं
इतना की मुश्किलें आने पर वह हमें उठाते हुए चलते हैं

सागर किनारे हमारे साथ ही उनके पैरों के निशान होतें हैं
गिली-सूखी-रेत पर हरदम उन्हें छपतें हुए हम देख लेतें हैं

किसी जगह पर अगर वो निशान मीट गए हुएं दिखाई दें,
हमारे उस आपत्तिजनक स्थिति में ईश्वर बिना साथ छोड़े,

हमें संकटों से उपर उठाकर सन्मार्ग पर वापस ले आते हैं
इसलिए अक्सर परमात्माके पदचिन्ह ही दिखाई पड़तें हैं

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆

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