कविता - 🌷 " एक ऐसे मोड़ पर "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - शुक्रवार, १९ मे २०१७
एक ऐसे सुहाने मोड़ पर,आके आज जिंदगी ...
मानो लग रही है बहुत अलगसी-सुहावनीसी,
दिख रही है हर-तरफ हरियाली ही हरियाली
नजर पहुँचें वहां तक खुशहाली ही खुशहाली
जहाँ भी जाएं, नजर आए सपनोंभरी दुनिया,
हरिभरी खिली धरती, मानो जन्नत की परियां
मन-पंछी बनकर गगन में झूमने यूँ लगा है ...
बादलोंसे चंदा भी लुकाछुपी खेलने लगा है ...
डार-डारपर घोंसलो में पंछी लगे हैं चहकने
मन भँवरा बनके, हर फूल-फूलसे मधु चुराने
सूरज की भाँति हर दिल में उजियारा लाकर
हर किसी का मन, जीतने चला है वो पागल ...
यह मीठी पवन, किसीकी महक संग है लायी
साथ-साथ हैं ये वादियाँ, खामोशी नयी-छायी
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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