
कविता : 🌷' आस '
कवयित्री: तिलोत्तमा विजय लेले
सागर से मिलने चल दी
नदियां सागर से मिलने चल दी ।।ध्रु।।
कलकल आवाज करती धारा
बूंद-बूंद बुलाए सागर-किनारा
नित-नित मिलन की प्यासी
नदियां सागर से मिलने चल दी ll१ll
पर्बत-पर्बत वादियां पथ में खड़ी
रोके ना रूके, सावन की लडी
चारों दिशाओं से यूँ दौडी-दौडी,
नदियां सागर से मिलने चल दी ll२ll
रास्ते उंचेनिचे घाटी दामन छेड़ें
पर मन में एक ही लगन लिये,
लडती झगडती हॅंसती हॅंसाती
नदियां सागर से मिलने चल दी ll३ll
@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆
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