कविता – 🌷 ‘ आनंद-स्वरूप ‘

कविता - 🌷 ' आनंद-स्वरूप '
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - शुक्रवार, १० मे २०२४
समय - शाम, ७ बजकर १६ मि.

हर-एक-पल गुज़रती हुई ये जिंदगी,
अपना-अपना एक आईना ही तो है

ध्यानसे अगर गौर फ़रमाया जाय तो,
समझो सबकुछ उलटा ही दिखता है

ईश्वर का बुना हुआ, सुंदरसा ख्वाब है
हरेक बंदे की जिंदगी, उसी का नाम है

इस ख्वाब को एकबार ही जीनेकेलिये
हजार-हजार-बार मरना भी, कुबूल है

दिल छूं ने की बात जो बयाँ की सृष्टी ने
ढेरों खुशीयों से दामन भर दिया धारा ने

जीवन वास्तव में, एक आभास मात्र है
हमारी विचार-धाराएं ही उसका स्रोत है

हमारी मनोदशाएं ही आनंद-स्वरूप  है
सुख-दुःख-भाव उस पर उठती लहरें हैं

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🌅

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