कविता : 🌷 " अमृत-सागर "
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले
यकायक एक पुरानी किताब में मिला ऐसा कुछ
मन भाव-विभोर हो गया देखके सुंदर मयूर-पंख…
मोरपंख को देखकर, बचपन की यादें ताज़ा हुई
शायद मोरपंख से मासूमियत भी हो गई रंगभरी…
हरे, नीले, चमकीले, सप्तरंगों की जन्नत है समाईं
मोरपंखी रंगीन-प्यारेसे-पत्थर, तितलियां-कईं-कईं…
किताबों के हर पन्नेपर लाड़ प्यारसे भरी हुई कहानी
काग़ज़ की कश्ती, बारिश का मौसम-चहू-ओर-पानी…
एक यकीन जब जीवनमें शहद जैसा घुल-मिल जाएं
अमृत-सागर जैसा बचपन वर्तमान में रोशनी फैलाएं…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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