कविता - 🌷 " अपना योगदान "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
लहू वतनके शहीदोंका रंग लाया है,उछल रहा जमानेमें नाम-ए-आजादी
दिलसे नमन स्वतंत्रता सेनानियोंको, ये पंक्तियां हैं फिराक गोरखपुरी की
स्वतंत्रता दिवस गुलामी की जंजीरों के दर्द की, आजादी की लड़ाई
अनेकों सेनानियों ने अपने जीवनका बलिदान देके स्वतंत्रता दिलाई
सावरकर, सुभाषचंद्र, चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह-रानी लक्ष्मीबाई
हम जिस आजादी का जश्न मनाते आ रहे हैं, ये बदौलत है, उन्हीं की
इन्होंने साहस, वीरता, शौर्य,बहादुरीसे उनका जीवन न्यौछावर करना
अनगिनत वीरोंके जिक्र के बिना असंभव है,स्वतंत्रता को बयां करना
स्वतंत्रता-दिवस प्रमुख प्रतिक हैं देशप्रेम, समर्पण, साहस,एकता का
आती हैं जिम्मेदारियां आजादीके साथ-ही-साथ, सामना चुनौतियोंका
असमानता और अन्याय से लेकर भ्रष्टाचार तथा विभाजन तक, का
एकजुट होकर हर वो लड़ाई लड़ेंगे, जो लगें आजादी के लिए खतरा
न भूलेंगे, बाकी है अभी देश-प्रगति के लिए बहुत कुछ किया जाना...
याद है, अपनी आत्मनिर्भरता, समानता और स्वतंत्रता बनाए रखना
लाखों जवान जानकी बाजी लगाके सरहद पे तैनात आजादीके लिए
निरंतर प्रयासरत रहना,ये सुनिश्चित हो उनके त्याग-बलिदान के लिए
हर व्यक्ति सशक्त-सुरक्षित महसूस करें, शिक्षित हो, कोई भूखा न हो
सबके सिर पर छत हो, हर कोई शारिरीक रूप से, मन से, स्वस्थ हो
इसी दिन तो हुआ था ये एलान, अंधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
चौड़ी छातीसे"मेरा रंग दे बसंती चोला"गाते हुए, देंगे अपना योगदान
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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