कविता : 🌷 ” अनमोल रत्न “


कविता : 🌷 " अनमोल रत्न "
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले

कर्मों का अंजाम चाहे जैसे भी होवें…
पर उनकी यादें तो बेहद प्यारभरी हैं…

हम अच्छे-बुरे कर्म तो करते रहते हैं
फ़िर जब उनका फ़लसफ़ा प्राप्त हो,

यकायक से घबरा कर भागते-दौड़तें,
मुंह फुलाएं एकांतवासमें बैठ जातें हैं…

जो बीज बोएं, नतीजा पाना बाक़ी है…
बिना पढ़ाईके फेल तो होना पड़ता है…

जैसे करनी है बिल्कुल वैसे ही भरनी,
अंजाम तक इंतज़ारकी घड़ियां लम्बी…

जो समय बीत चुका है अफसोस नहीं,
पर अनमोल रत्न है जो हाथों में बाक़ी…

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆

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