कविता – बंदिश -🌷 ‘ आहट ‘

कविता - बंदिश -🌷 ' आहट '
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - २७ ऑगस्ट २०१९
वेळ - दोपहर, ४ बजे

पंछी चहकने लगे,
फूल महकने लगे
आई साजन की आहट,
फिर, मन बहकने लगे || ध्रु ||

चमन-चमन खिल उठा,
नादाॅं भॅंवरा मंडराने लगा
आया हवा का एक झोंका
दिल खुशी से झूमने लगा || १ ||

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆

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